बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन
Unit - II
अध्याय - 9
पकाने की विधियाँ एवं आहार के पोषण मूल्यों पर उनका प्रभाव
(Cooking Methods and their Effect on Nutritive Value of Food)
प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
अथवा
विभिन्न पौष्टिक तत्वों पर भोजन के पकाने का क्या प्रभाव पड़ता है? भोजन पकाने की सबसे उत्तम विधि कौनसी है तथा क्यों?
अथवा
भोजन को पकाने से क्या लाभ हैं?
अथवा
भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ क्या हैं तथा वे भोजन के पौष्टिक मूल्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
अथवा
भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस. प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
अथवा
भोजन पकाने की कौन कौन सी विधियाँ हैं तथा भोजन बनाते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
अथवा
भोजन पकाने के विभिन्न विधियाँ क्या होती हैं? किन्हीं दो तरीकों को विस्तारपूर्वक बताइये तथा इन विधियों के पौष्टिक तत्वों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी बताइये।
अथवा
भोजन पकाने के विभिन्न विधियाँ क्या होती हैं तथा भोजन पकाने का क्या प्रभाव पड़ता है?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
वसा के माध्यम से पकाने के तरीके का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
अथवा
भोजन पकाते समय किन किन कारकों को ध्यान में रखना चाहिए?
अथवा
भोजन पकाने की कोई दो विधियाँ बताइये।
अथवा
हवा द्वारा भोजन पकाने की कौनसी विधियाँ हैं?
अथवा
भोजन पकाने की सबसे उत्तम विधि कौन सी हैं? उचित कारणों के साथ स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भोजन तैयार करने में पौष्टिक तत्वों को सुरक्षित रखने हेतु किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अथवा
ऐसी सावधानियाँ सुझाइए जिनसे भोजन तैयार करते समय पोषक तत्व कम से कम नष्ट हों।
उत्तर -
भोजन पकाने की आवश्यकता :
भोजन पकाने के कई उद्देश्य होते हैं जैसे -
1. भोजन को सुपाच्य बनाना - भोज्य पदार्थ जटिल होते हैं, अगर इनको कच्चा ही खाया जाए तो यह ठीक तरह पच नहीं पाते हैं अतः इन्हें सुपाच्य बनाने के लिए पकाना आवश्यक होता है।
2. भोजन को स्वादिष्ट व आकर्षक बनाना व उसके रूप में सुधार लाना - पकाने से भोजन देखने में और अधिक आकर्षक व स्वादिष्ट हो जाता है। इसके रंग, बनावट, आकार तथा गन्ध में परिवर्तन हो जाता है, जिससे भोजन रुचिकर हो जाता है।
ये सभी परिवर्तन निम्न प्रकार से होते हैं-
(i) रूप व आकार में परिवर्तन - भोज्य पदार्थों को पकाने से उनके रूप में परिवर्तन आता है। कच्चा स्टार्च व कच्ची प्रोटीन खाने में स्वादिष्ट नहीं होती और उनके ऊपर सैल्यूलोज का आवरण रहता है लेकिन पकाने से उनके रूप और स्वाद में परिवर्तन हो जाता है।
(ii) रंग में परिवर्तन - भोजन का रंग भोजन को सुन्दर व आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति भोजन को उसके सुन्दर रंग के कारण ही देखकर आकर्षित होता है और उसकी भूख में भी वृद्धि होती है। भोज्य पदार्थों को खरीदते समय उसके गुणों की विवेचना रंग देखकर की जाती है।
(iii) बनावट में परिवर्तन - भोजन को पकाने से उसकी बनावट में अत्यधिक परिवर्तन आ जाता है। भोजन की बनावट का अर्थ है कि भोज्य पदार्थ किस प्रकार का है जैसे- कोमल सख्त, लचीला, स्पंजी, लसीला, कुरकुराया रेशेदार पकाने से भोज्य पदार्थों की बनावट में परिवर्तन आ जाता है।
(iv) स्वाद व गंध में परिवर्तन - भोजन पकाने से भोजन स्वादिष्ट हो जाता है। भोजन का अच्छा स्वाद उसमें डाले गये घी, मसाले आदि के कारण भी होता है। पकाने के पश्चात् भोजन सुगन्धित हो जाता है। कुछ भोजन पकाने की क्रिया में गन्धयुक्त पदार्थ भी डाले जाते हैं जो उसकी सुगन्ध बढ़ाते हैं।
3. भोजन के रोग जीवाणुओं को नष्ट करना - भोज्य पदार्थों में वातावरण के विभिन्न माध्यमों से कई जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं। यदि भोजन को कच्चा ही खाया जाए तो उस स्थिति में ये जीवाणु शरीर में पहुँच जाते हैं तथा शरीर को रोगी बना देते हैं। इन स्थितियों से बचने के लिए यदि भोजन को पका लिया जाए तो अधिक ताप पर आने के कारण भोजन के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं तथा भोजन सुरक्षित हो जाता है।
भोजन पकाने की विधियाँ :
भोजन पकाते समय उसके माध्यम को ध्यान में रखते हुए भोजन चार विधियों से पकाया जाता है-
1. जल द्वारा पकाना - इस विधि से भोजन पूरी तरह से जल से घिरा रहता है। इस विधि को जल की मात्रा व जल के तापक्रम को ध्यान में रखते हुए तीन विधियों में विभाजित किया जाता है -
(i) उबालना (Boiling) - पानी 100°या 112°ताप पर उबलता है पर यदि उसमें कोई भोज्य पदार्थ या नमक डाल दिया जाता है तो उबलने का तापक्रम और बढ़ जाता है।
(ii) खदकाना (Simmering) - खदकाना व उबालने की विधि में विशेष अन्तर पानी के तापक्रम का होता है। इस विधि में भोजन 180°से 210°तापक्रम पर गर्म किया जाता है। पानी का तापक्रम उबलने के तापक्रम तक न पहुँच पाने के कारण पानी के बुलबुले ऊपरी सतह तक पहुँचने के पहले ही फूट जाते हैं।
(iii) स्टयूइंग (Stewing) - यदि भोजन पकाते समय उसमें पानी व ताप दोनों ही बहुत कम रखा जाए तो यह विधि Stewing कहलाती है।
2. हवा द्वारा पकाना - यदि भोज्य पदार्थ तथा आग के बीच कोई अन्य माध्यम नहीं है तो हवा आग की गर्मी लेकर पदार्थ को पहुँचाती है। इस विधि द्वारा पका भोजन हवा द्वारा पका भोजन कहलाता है।
(i) भूनना या सेंकना (Roasting or Broiling) - इस विधि में भोजन सीधे आग के सम्पर्क में होता है। आग की लौ व हवा भोजन को अन्दर तक गलाकर पका देती है। बैंगन, आलू व भुट्टा आदि भूनने के लिए यही विधि अपनायी जाती है। रोटी फु लाने के लिए भी उसे सीधे आग पर रखा जाता है जिससे वह पूरी तरह सिक जाती है।
(ii) धातु के बर्तन में भूनना (Pau Broiling) - इस विधि में भोजन को भूनने के लिए बर्तन जैसे तवा या कढ़ाई का प्रयोग किया जाता है पर अन्य कोई माध्यम प्रयोग नहीं होता है। आग की गर्मी से धातु गर्म हो जाता है तथा यह धातु की गर्मी भोजन को पका देती है। तवे पर रोटी सेंकना, सूजी, दलिया, आटा आदि इस विधि से भूनते हैं।
(iii) तन्दूर में पकाना (Baking) - इसमें भोज्य पदार्थ एक विशेष प्रकार की भट्ठी या तन्दूर या ओवन से पकता है। किसी भी प्रकार के ओवन के ढक्कन या दरवाजे को बार-बार नहीं खोलना चाहिए अन्यथा अन्दर की गर्म हवा निकलती रहेगी। ट्रे या टिन में भोज्य पदार्थ रखने के पहले उन पर चिकनाई लगा लेनी चाहिए जिससे भोज्य पदार्थ पकने के बाद आसानी से उठ जाए।
3. चिकनाई द्वारा पकाना - इस विधि में भोज्य पदार्थ चारों तरफ से किसी चिकनाई जैसे घी या तेल से घिरा रहता है। ऊष्मा पहले चिकनाई द्वारा ग्रहण की जाती है फिर चिकनाई ऊष्मा को भोज्य पदार्थ में पहुँचाती है। वसा अधिक तापक्रम पर उबलने के कारण वह अधिक ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है। अतः भोज्य का ऊर्जा मूल्य बढ़ जाता है पर भोजन गरिष्ठ हो जाने के कारण सुपाच्य नहीं रहता है।
(i) गहरा तलना (Deep Frying) - इस विधि में घी अथवा तेल की मात्रा इतनी ली जाती है कि भोज्य पदार्थ उसमें डालने पर पूरा डूब जाए। गहरे तलने की क्रिया कढ़ाई में की जाती है।
(ii) उथला तलना (Shallow Frying) - इस विधि में वसा की मात्रा कुल इतनी प्रयोग की जाती है कि भोजन बर्तन से चिपके नहीं। यह क्रिया कढ़ाई या फ्राई पैन (Fry Pan) या तवे पर की जाती है।
(iii) शुष्क विधि (Dry Frying) - इस विधि में बाहरी वसा का प्रयोग नहीं किया जाता है। भोज्य पदार्थ की प्राकृतिक वसा ही निकालकर भोजन को तलने में सहायता करती है तथा भोजन को बर्तन से चिपकने से बचाती है।
4. भाप द्वारा पकाना - जल का गैस रूप वाष्प कहलाता है। जब जल उबाला जाता है तो उबलने के बाद वाष्प अथवा भाप में परिवर्तित हो जाता है और वाष्प के रूप में बर्तन को उठाकर ऊपर जाने लगता है। इस विधि में भोजन के भाप के सम्पर्क को ध्यान में रखते हुए भाप द्वारा पकाने की दो विधियाँ होती हैं -
(i) प्रत्यक्ष विधि (Direct Method) - इस विधि में एक बर्तन में पानी गर्म करते हैं। इस बर्तन में एक जाली या बर्तन रखकर भोज्य पदार्थ उसमें रखा जाता है, बर्तन में रखा पानी उबलने पर भाप बनती है और उसकी भाप से उस पर रखा भोज्य पदार्थ पकता है। बर्तन को ऊपर से ढक दिया जाता है। ढोकला, खमन तथा रसाजय इसी विधि से पकाये जाते हैं। कुछ भोज्य पदार्थों को पकाने के लिए एक विशेष प्रकार का पात्र उपयोग में लाया जाता है, जैसे- इडली का बर्तन। इसमें एक बड़े भगौने या प्रेशर कुकरमें इडली स्टैण्ड रखा जाता है। इडली स्टैण्ड में छोटी-छोटी कटोरियाँ स्टैण्ड में ऊपर-नीचे लगी रहती हैं। इन कटोरियों में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, नीचे के बर्तन में पानी उबलता रहता है तथा उसमें बनी भाप छेदों द्वारा क टोरियों में रखे भोज्य पदार्थ के सम्पर्क में आकर उसे पकाती है। इस विधि से इडली तैयार की जाती है।
(ii) अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Method) - इस विधि में एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करते हैं तथा उसमें दूसरे छोटे बर्तन में भोज्य पदार्थ ढक कर रख देते हैं, छोटे बर्तन को अच्छी तरह बन्द रखना चाहिए, ताकि पानी भोज्य पदार्थ के अन्दर न जा सके। भोज्य पदार्थ भाप के साथ अप्रत्यक्ष रूप से सम्पर्क में रहता है तथा भोजन स्वयं अपने ही रस में पकता है। इस विधि से विभिन्न प्रकार की पुडिंग तैयार की जाती है।
5. वाष्प के दबाव द्वारा पकाना (Pressure Cooking) - यह विधि भी कुछ अंश में वाष्प द्वारा भोजन पकाने की ही विधि है। इस विधि में वाष्प से दबाव उत्पन्न किया जाता है।
प्रेशर कुकर का सिद्धान्त - प्रेशर कुकर एक भगौने के समान मोटी धातु का बना होता है जिसका ढक्कन उसमें पूरी तरह फिट हो जाता है जिससे बर्तन ढंकने पर वाष्प किनारे से न निकल सके। भोजन को पकाने के लिए बर्तन में नीचे पानी डालकर रख दिया जाता है तथा कुकर की जाली के ऊपर कु करके पैन में वांछित भोजन रख दिया जाता है। कुकर को ढँक कर आग पर रखने से पानी की वाष्प बननी शुरू होती है जोकि ढक्कन बंद होने के कारण बाहर नहीं निकल पाती है। जैसे-जैसे वाष्प की मात्रा बढ़ती जाती है, उसका दबाव बढ़ जाता है जिससे पानी के उबलने का तापक्रम बढ़ता जाता है। बहुत अधिक दबाव बढ़ने पर अतिरिक्त वाष्प की मात्रा कुकरके ढक्कन में लगे वेट बाल्व के द्वारा बाहर निकल जाती है। इसे ही सीटी बजना कहते हैं।
पकाने पर भोजन के रंग रूप व गन्ध पर प्रभाव
1. रंग - भोज्य पदार्थ पकाने पर उसमें उपस्थित प्राकृतिक रंग प्रभावित होते हैं। भोज्य पदार्थ में मुख्यतः चार प्राकृतिक रंग होते हैं।
(a) क्लोरोफिल - यह हरे रंग का पदार्थ है जो हरी पत्तीदार सब्जियों और फलों में पाया जाता है, जैसे पालक, मैथी, पुदीना व चौलाई आदि। भोजन पकाने से ताप का क्लोरोफिल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(b) कै रोटीन - यह पीले रंग का पदार्थ है जो पीली, नारंगी व हरी सब्जियों में पाया जाता है। इस रंग पर ताप, अम्लीय या आरीय माध्यम से कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(c) एन्थोसाइनिन - यह लाल, जामुनी रंग का पदार्थ है जो मुख्यतः चुकन्दर, जामुन व काली गाजर आदि में पाया जाता है। ताप से ये अप्रभावित रहता है पर अम्लीय माध्यम में यह हल्के लाल रंग का तथा आरीय माध्यम से यह नीला हो जाता है।
(d) फ्लेवोन्स - यह सफेद रंग की सब्जियों जैसे आलू, गोभी व प्याज में पाया जाता है। ताप व अम्लीय वातावरण से तो यह अप्रभावित रहता है किन्तु क्षारीय वातावरण में यह पीला रंग ग्रहण कर लेता है।
2. टैक्सचर - भोजन पकाने से उसमें उपस्थित सेल्यूलोज मुलायम व नरम हो जाता है। अब ये अधिक सुपाच्य हो जाता है। पकाने की क्रिया में स्टार्च के कण फूट जाते हैं जिससे स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थ में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा भोजन ढीला हो जाता है, जैसे- आलू, शकरकन्दी, चावल व साबूदाना। प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पकाने से उसकी प्रोटीन जम जाती है, जैसे- अण्डा, माँस, मछली आदि।
3. गंध - कुछ भोज्य पदार्थों की अवांछनीय गन्ध भोजन पकाने से नष्ट हो जाती है, जैसे- मछली, प्याज व शलजम आदि। कुछ भोज्य पदार्थ पकने पर और भी अधिक सुगन्धित हो जाता है। भोजन की गंध भोजन पकाने की क्रिया से विशेष रूप से प्रभावित होती है। भोजन को जल द्वारा पकाने की क्रिया से विशेष रूप से प्रभावित होती है। भोजन को जल द्वारा पकाने की अपेक्षा वसा व हवा द्वारा पकाना उसे अधिक सुगन्धित बनाता है।
भोजन पकाने का भोज्य तत्वों पर प्रभाव
कार्बोहाइड्रेट - भोजन में उपस्थित स्टार्च के उचित पाचन के लिए भोजन का पकाना आवश्यक है। गीले स्टार्च पकने से स्टार्च के कण फूलकर फट जाते हैं तथा उनका जिलैटनीकरण हो जाता है। पका हुआ स्टार्च कच्चे स्टार्च की अपेक्षा जल्दी पच जाता है।
वसा - भोजन पकाने से वसा के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। बहुत अधिक ताप पर बहुत अधिक देर तक वसा गर्म करने से वसा के फैटी एसिड विभक्त हो जाते हैं जो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
प्रोटीन - पकाने की क्रिया से प्रोटीन जमकर सिकुड़ जाती है। हल्की पकी हुई प्रोटीन कच्ची प्रोटीन की अपेक्षा जल्दी पच जाती है। पर भोजन के अधिक पकाने से जैसे अधिक भूनने व तलने की क्रिया में प्रोटीन का पोषण मत्व कम हो जाता है।
विटामिन 'ए' व कैरोटीन - विटामिन 'ए' व कैरोटीन के जल में अघुलनशील होने के कारण ये तत्व भोजन के जल में नहीं आ पाते हैं तथा यह जल फेंकने पर विटामिन 'ए' की कोई हानि नहीं होती है।
थायमिन - भोजन को पकाते समय कुछ थायमिन से विभक्तिकरणके कारण थायमिन की हानि होती है। थायमिन पानी में घुलनशील होने के कारण भोजन के पानी में आ जाता है।
राइबोफ्लेविन - खाना पकाते हुए तेज प्रकाश के सम्पर्क में आने पर भोजन का राइबोफ्लेविन नष्ट हो जाता है। ऊष्मा तथा क्षार की क्रिया से भी राइबोफ्लेविन नष्ट हो जाता है। नायसिन भोजन के पानी को फेंक देने पर नायसिन की भी हानि होती है।
विटामिन सी - भोजन पकाने की क्रिया में विटामिन 'सी' का वायु से ऑक्सीकरण होने के कारण विटामिन 'सी' नष्ट हो जाता है। विटामिन 'सी' पानी में घुलनशील होने के कारण भी नष्ट हो जाता है।
खनिज तत्व - पके भोजन का पानी फेंक देने से कैल्शियम, फास्फोरस लोहा, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि विभिन्न खनिज तत्वों की हानि होती है। भोज्य पदार्थों को कठोर पानी में पकाने से पानी का कैल्शियम भोजन में आ जाता है।
भोजन पकाते समय बरतने वाली विशेष सावधानियाँ
हमें भोजन पकाते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए.
1. विभिन्न सब्जियों को जहाँ तक हो छिलके सहित पकाना चाहिए। छिलके सहित पकाने से भोज्य तत्वों की हानि कम होती है। 2. विभिन्न सब्जियों, विशेष रूप से हरी पत्ती वाली सब्जियों को धोकर फिर काटना चाहिए। काटकर धोने से कई भोज्य तत्व नष्ट हो जाते हैं। 3. सब्जियों को बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में नहीं काटना चाहिए। बहुत छोटे आकार के टुकड़ों से भी भोज्य तत्वों की हानि अधिक होती है। 4. भोज्य पदार्थों को अधिक समय तक पानी में भिगोकर नहीं रखना चाहिए तथा भीगे हुए भोजन के पानी को फेंक नानहीं चाहिए बल्कि भोजन को पकाने में प्रयोग कर लेना चाहिए।
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- प्रश्न- दैनिक आहारीय मात्राओं से आप क्या समझते हैं? आर.डी.ए. का महत्व एवं कार्य बताइए।
- प्रश्न- आहार मात्राएँ क्या हैं? विभिन्न आयु वर्ग के लिये प्रस्तावित आहार मात्राओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संदर्भित महिला व पुरुष को परिभाषित कीजिए एवं पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं से आप क्या समझते हैं? दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को बनाते समय ध्यान रखने योग्य आहारीय निर्देशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिये एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित आवश्यकता की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रस्तावित दैनिक आवश्यकता के निर्धारण का आधार क्या है?
- प्रश्न- शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं? इन तत्वों को स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- भोजन क्या है?
- प्रश्न- उत्तम पोषण एवं कुपोषण के लक्षणों में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- हमारे लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- शरीर में जल की क्या उपयोगिता है
- प्रश्न- क्या जल एक स्थूल पोषक तत्व है?
- प्रश्न- स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में अंतर बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी व अधिकता से क्या हानियाँ होती हैं?
- प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का मानव शरीर में किस प्रकार पाचन व अवशोषण होता है?
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट क्या है? इसके प्राप्ति के स्रोत बताओ।
- प्रश्न- प्रोटीन से क्या तात्पर्य है? मानव शरीर में प्रोटीन की उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रोटीन का जैविक मूल्य क्या है? प्रोटीन का जैविक मूल्य ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
- प्रश्न- प्रोटीन की दैनिक जीवन में कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है?
- प्रश्न- प्रोटीन की अधिकता से क्या हानियाँ हैं?
- प्रश्न- प्रोटीन की शरीर में क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव लिखिए।
- प्रश्न- वसा से आप क्या समझते हैं? वसा प्राप्ति के प्रमुख स्रोत एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - वसा का पाचन एवं अवशोषण।
- प्रश्न- वसा या तेल का रासायनिक संगठन बताते हुए वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वसा की उपयोगिता बताओ।
- प्रश्न- वसा के प्रकार एवं स्रोत बताओ।
- प्रश्न- वसा की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- पोषक तत्व की परिभाषा दीजिए। सामान्य मानव संवृद्धि में इनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- विटामिन
- प्रश्न- विटामिन 'ए' क्या है? विटामिन ए की प्राप्ति के साधन तथा आहार में इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विटामिन डी की प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन सी की कमी से क्या हानियाँ हैं?
- प्रश्न- विटामिन डी की दैनिक प्रस्तावित मात्रा बताइये।
- प्रश्न- वसा में घुलनशील व जल में घुलनशील विटामिनों में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- खनिज तत्वों से आप क्या समझते है? खनिज तत्वों का कार्य बताइए।
- प्रश्न- फॉस्फोरस एवं लोहे की प्राप्ति, स्रोत, कार्य व इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कैल्शियम की प्राप्ति के साधन कार्य तथा इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिंक की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? इनकी प्राप्ति के साधन उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- आयोडीन का महत्व बताइये।
- प्रश्न- सोडियम का भोजन में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ताँबे का क्या कार्य है?
- प्रश्न- शरीर में फ्लोरीन की भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- शरीर में मैंगनीज का महत्व बताइये।
- प्रश्न- शरीर में कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आहारीय रेशे का क्या अर्थ है? आहारीय रेशों का संगठन, वर्गीकरण एवं लाभ लिखिए।
- प्रश्न- भोजन में रेशेदार पदार्थों का क्या महत्व है? रेशेदार पदार्थों के स्रोत एवं प्रतिदिन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फाइबर की कमी शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
- प्रश्न- फाइबर की अधिकता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा को तालिका द्वारा बताइए।
- प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
- प्रश्न-
- प्रश्न-
- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भोजन में मसालों की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- 'भोज्य मिलावट' क्या होती है, समझाइये।
- प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया से बनाये जाने वाले पदार्थों का वर्णन कीजिए तथा खमीरीकरण प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुपूरक व विस्थापक पदार्थों से आपका क्या अभिप्राय है? उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिके शनकि स प्रकार से किया जाता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अंकुरीकरण तथा खमीरीकरण किस प्रकार से भोजन के पौष्टिक मूल्य को बढ़ाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया किन बातों पर निर्भर करती हैं।
- प्रश्न- खमीरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- 'आहार आयोजन' करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- 'आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये। किशोरी का आहार आयोजन करते समय आप किन पौष्टिक तत्वों का ध्यान रखेंगे?
- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- कैटरिंग की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
- प्रश्न- भोजन करते समय शिष्टाचार सम्बन्धी किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
- प्रश्न- भोजन प्रबन्ध सेवा (Catering Service) के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- एक गृहिणी अपने घर में किस प्रकार सुन्दर मेज सजाकर रखती है? समझाइए।
- प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।
- प्रश्न- केटरिंग सेवाओं की अवधारणा और सिद्धान्त समझाइये।
- प्रश्न- 'स्वयं सेवा' के लाभ तथा हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- छोटे और बड़े समूह में परोसने की विधियों की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- Menu से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के Menu को समझाइये।
- प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कैन्टीन का लेखा-जोखा कैसे रखा जाता है? समझाइए।
- प्रश्न- बड़े समूह को खाना परोसते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखेंगे तथा अपने संस्थान में एक लड़कियों के लिये कैंटीन की योजना कैसे बनाएंगे? विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- खाद्य प्रतिष्ठान हेतु क्या योग्यताओं की आवश्यकता तथा प्रशिक्षण आवश्यक है? समझाइए।
- प्रश्न- बुफे शैली में भोजन किस प्रकार परोसा जाता है?
- प्रश्न- चक्रक मेन्यू क्या है?
- प्रश्न- 'पानी के जहाज (Ship) पर भोजन की व्यवस्था' इस विषय पर टिप्पणी करिये।
- प्रश्न- मेन्यू के सिद्धांत क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मेन्यू के बारे में लिखिये।